Bhotik rashi


वे सभी राशियाँ जिन्हें हम एक संख्या द्वारा व्यक्त कर सकते हैं तथा प्रत्यक्ष रूप से माप सकते हैं | उन्हें हम भौतिक राशियाँ कहते हैं |
जैसे- लम्बाई, द्रव्यमान, ताप, चाल, बल, समय आदि |


वह प्रक्रिया जिसमें हम यह पता करते हैं कि कोई दी हुई राशि किसी मानक राशि का कितने गुना हैं, मापन कहलाता है | हम कह सकते हैं कि किसी भौतिक राशि का मान ज्ञात करने के लिए किसी मानक से तुलना करना ही मापन है |
किसी भौतिक राशि के एक नियत परिमाण को मानक (Standard) मान लिया जाता है तथा इस पर परिणाम का संख्यात्मक मान 1 माना जाता है | इस मानक के नाम को उस राशि का मात्रक कहते हैं.



मापन प्रणाली
MKS प्रणाली - मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड। इसे  मीट्रिक प्रणाली कहा जाता है।
CGS प्रणाली - सेंटीमीटर, ग्राम, सेकंड।
FPS प्रणाली - फीट, पाउंड, सेकंड। इसे ब्रिटिश प्रणाली भी कहा जाता है।

एसआई प्रणाली (सिस्टम इंटरनेशनल) - MKS प्रणाली के अंतर्राष्ट्रीय मान्यताके साथ स्वीकार की गयी प्रणाली।

एसआई प्रणालीको १९६० में GGPM-Conférence générale des poids et mesures (General Conference on Weights and Measures) सम्मेलन में मान्यता प्रदान की गयी। इस परिषद में ७ मुलभुत राशियां, २ पूरक राशियां और १९व्युत्पन्न राशियां उनके विशिष्ट नामों के साथ स्वीकृत की गयी। अंतर्राष्ट्रीय मापन कार्यालय पेरिस के पास सेवेरस में है।




भौतिक राशियों का वर्गीकरण
मूल राशियाँ (Fundamental Quantities)
वे भौतिक राशियाँ जो एक दूसरे पर निर्भर नह&#2368#2368;ं करती हैं | मूल राशियाँ कहलाती हैं तथा इनके मात्रक मूल मात्र कहलाते हैं | जैसा कि निम्न टेबल में सात मूल राशियोंकी SI यूनिट प्रदर्शित है-
मूल राशियाँमूल मात्रक (Fundamental Quantities)संक्षिप्तियाँ (Fundamental units) 
लम्बाई  मीटर  m
द्रव्यमान  किलोग्राम kg
समय  सेकण्ड  s
विद्युत धारा एम्पियर  A
ताप  कैल्विन  K
ज्योति तीव्रता केंडिला  cd
पदार्थ की मात्रा मोल  mol

पूरक राशियाँ (Supplementary Quantities)
तलीय कोण (Plane Angle) तथा घन कोण (Solid Angle) पूरक राशियाँ है तथा इनके मात्रक क्रमशः रेडियन तथा स्टेरेडियन है |


व्युत्पन्न राशियाँ 
वे राशियाँ जो मूल राशियों के पदों में व्यक्त की जाती हैं, व्युत्पन्न राशियाँ कहलाती हैं | क्षेत्रफल, आयतन, दाब, चाल, घनत्व आदि | व्युत्पन्न राशियों को व्यक्त किए जाने वाले मात्रक को व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं |



अदिश एवं सदिश राशियाँ (Scalar and Vector Quantities)
भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती हैं-
०१. अदिश राशि
०२. सदिश राशि

अदिश राशियाँ (Scalar Quantities)
जिन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण (Magnitude) की आवश्यकता होती है दिशा की नहीं, उन्हें अदिश राशि कहते हैं |

जैसे:- लम्बाई, दूरी, समय, क्षेत्रफल, द्रव्यमान, आयतन, चाल, घनत्व, दाब, कार्य, ऊर्जा, आवेश, आवृत्ति, विशिष्ट ऊष्मा, शक्ति, कोण, ताप, विद्युत धारा, विद्युत विभव आदि अदिश राशियाँ हैं |

चलिए अदिश राशि को एक उदहारण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं-

यदि हम आपसे कहें कि आपके घर से स्कूल 2km की दूरी पर है |

आप ध्यान दें तो आप पायेंगे कि इसमें दिशा की कोई बात नहीं की गयी अर्थात् स्कूल घर से 2km दूरी पर है लेकिन किस दिशा में है, ये बात अज्ञात है, अतः हम दूरी के अदिश कहेंगे |


सदिश राशियाँ (Vector Quantities)
जिन भौतिक राशियों को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ-साथ दिशा की भी आवश्यकता होती है, उन राशियों को सदिश राशियाँ कहते हैं |

जैसे- विस्थापन, वेग, बल, त्वरण, संवेग, बल-आघूर्ण, आवेग, भार, विद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय बल-क्षेत्र, कोणीय वेग आदि सदिश राशियाँ हैं |

चलिए सदिश राशि को समझने के लिए एक उदहारण लेते हैं- यदि हम आप से कहें कि इस दरवाजे को बंद करने के लिए 2 न्यूटन का बल लगाइए |

आप ध्यान देंगे तो पायेंगे कि यह कथन अपूर्ण है | इसके लिए हमें आपको कहना चाहिए था कि इस दरवाजे को बन्द करने के लिए 20 न्यूटन का बल अन्दर की ओर लगाओ | अतः बल के लिए हमें परिमाण (20 न्यूटन) तथा दिशा (अन्दर की ओर) दोनों की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए हम निश्चित रूप से कह सकते हैं, कि बल सदिश राशि है |



मात्रक
किसीभी दो बिन्दुओ के बीच के अंतर को लंबाई कहा जाता है। लंबाई का MKS प्रणाली में मात्रक मीटर है।  

आंतरराष्ट्रिय वजन और मापन संघटन के संग्रहालय में रक्खी हुयी ९०% प्लैटिनम और १०% इरेडियम इस मिश्र धातु से बानी हुयी सलिया के लंबाई को को ई मीटर कहा जाता है। इसे २७३.१६ K और १ बार दाब के वातावरण में रक्खा गया है। 

प्रकाशन अंतरिक्षमें १ / २९९७९२४५८ सेकण्डमें पार किये हुए अंतर को १ मीटर कहा जाता है। 

लंबाई का बड़े प्रमाणवाला मात्रक प्रकाशवर्ष है। १ प्रकाशवर्ष = 9.46 X 1012 km



लंबाईकी बड़े प्रमाणवाली मात्रके मायक्रोमीटर्स एव मायक्रॉन (um), ऍगस्ट्रॉम (A), नॅनोमीटर (mn), फेम्टोमीटर (fm) हैं.

विभिन्न शास्त्रो में अंतर के लिए इस्तेमाल की जानेवाली मात्रके

स्टॉक आइटम बनाना (Stock Item Creation)

स्टॉक आइटम
स्टॉक आइटम वह सामान है जिसका आप निर्माण या व्यापार (खरीद-बिक्री) करते हैं। यह प्राथमिक इकाई (Primary Unit) है।  स्टॉक आइटम का लेखांकन में लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

स्टॉक आइटम बनाने के लिए सबसे पहले आप स्टॉक आइटम पर जाकर एंटर कीजिये। 


नीचे जैसा स्क्रीन एक ब्लैंक स्क्रीन खुलेगा। 

नीचे दी गई जानकारी के अनुसार इनफार्मेशन भरिये। 

एंटर करके एक्सेप्ट कीजिये। 
आपका एक स्टॉक आइटम LG 20 INCHES TV का बन गया। 
चूकि  LG 20 INCHES TV आइटम  LG TV के अंडर आता है इसीलिए इसको इस तरह से बनाया गया है। 

इसी प्रकार से अन्य स्टॉक आइटम भी बनाइये। 

स्टॉक समूह बनाना Creating Stock Groups

स्टॉक समूह (Stock Group) स्टॉक में रखी हुई एक ही प्रकार के अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने में मदद करता है। उदाहरण के लिए टेलीविज़न के स्टॉक ग्रुप में अलग-अलग ब्रांड का टेलीविज़न रखा जा सकता है।

टेलीविज़न (स्टॉक ग्रुप)-------  LG TV, SAMSUNG TV, SONY TV (स्टॉक आइटम)

Stock Group

1. Televisions (main stock group)
·        LG TV – stock group under Television
·        Panasonic TV – stock group under Television
·        Sony TV – stock group under Television

2. Fridge (main stock group)
·         Videocon Fridge – Stock Group under Fridge
·         Sony Fridge – Stock Group under Fridge
·         Whirlpool Fridge – Stock Group under Fridge

3 . Washing Machine (main stock group)
·         LG Washing Machine – Stock Group under Washing Machine
·         Samsung Washing Machine – Stock Group under Washing Machine
Sony Washing Machine – Stock Group under Washing Machine 


STOCK ITEM
STOCK GROUP
LG TV
TELEVISION
PANASONIC TV
TELEVISION
SONY TV
TELEVISION
SONY FRIDGE
FRIDGE
WHIRLPOOL FRIDGE
FRIDGE
SANSUI FRIDGE
FRIDGE
LG WASHING MACHINE
WASHING MACHINE
SAMSUNG  WASHING MACHINE
WASHING MACHINE
SONY  WASHING MACHINE
WASHING MACHINE



Stock Group बनाना 

नीचे दिए गए स्क्रीन के अनुसार स्टॉक ग्रुप बनाइये। 

Gateway of Tally > Inventory Info. > Stock Groups > Single Stock Group > Create 



टेलीविज़न को प्राइमरी के अंडर में बनाइये। 

Y या एंटर दबाकर  एक्सेप्ट कीजिये। 
टेलीविज़न का स्टॉक ग्रुप बन गया। 

अब LG TV को टेलीविज़न के अंडर में बनाइये। 

Y या एंटर दबाकर  एक्सेप्ट कीजिये। 
 LG TV का स्टॉक ग्रुप टेलीविज़न के अंडर में बन गया। 

इसी प्रकार से हम पैनासोनिक और सोनी का भी स्टॉक ग्रुप टेलीविज़न के अंडर में बनायेंगे। 

फ्रिज और वाशिंग मशीन को हम प्राइमरी के अंडर में बनायेंगे। ऊपर दिए गये निर्देशों के अनुसार बाकी का भी स्टॉक ग्रुप बना लेंगे। 

माप की इकाइयों को बनाना Creating Units of Measure

स्टॉक आइटम मुख्य रूप से मात्रा के आधार खरीदा और बेचा जाता है। मात्रा को इकाइयों द्वारा मापा जाता है. इसीलिए माप कि इकाइयों को बनाना आवश्यक है. माप की इकाइयां या तो साधारण हो सकती हैं या मिश्रित।
सरल इकाइयों के उदाहरण हैं: nos., metres, kilograms, pieces इत्यादि।
मिश्रित इकाइयों के उदाहरण हैं : a box of 10 pieces इत्यादि।

Units of Measure बनाने के लिए इस प्रकार जाइये। 


Gateway of Tally > Inventory Info. > Units of Measure > Create.

गेटवे ऑफ़ टैली के इन्वेंटरी स्क्रीन पर एंटर करने के बाद नीचे वाला स्क्रीन आएगा। 

अब आप स्टॉक आइटम पर जाइये। 

एंटर करने के बाद नीचे का स्क्रीन आएगा। यह सिंपल यूनिट बनाने का स्क्रीन है। 

 नीचे दिए गए स्क्रीन के अनुसार डिटेल भरिये और एंटर प्रेस कर एक्सेप्ट कीजिये। 

कंपाउंड यूनिट बनाने के लिए फिर से इन्वेंटरी इंफो में जाकर यूनिट क्रिएशन में जाइये। 
पैक का pk एक सिंपल यूनिट बनाइये। 


बैकस्पेस प्रेस करके सिंपल या कंपाउंड में से कंपाउंड को सेलेक्ट कीजिये। 

नीचे दिए गए स्क्रीन के अनुसार इनफार्मेशन भरिये। 


स्क्रीन को एक्सेप्ट कीजिये। 

इसी प्रकार से अन्य यूनिट भी बनाइये। 
VOUCHERS IN TALLY ERP 9

लेखा वाउचर वित्तीय लेन - देन का विवरण युक्त दस्तावेज है। टैली  ERP 9 में मुख्य  रूप से निम्नलिखित वाउचर का उपयोग किया जाता है।
·         
  • कॉन्ट्रा वाउचर - Contra Voucher (F4)
  • भुगतान वाउचर - Payment Voucher (F5)
  • रसीद वाउचर - Receipt Voucher (F6)
  • जर्नल वाउचर - Journal Voucher (F7)
  • बिक्री वाउचर / चालान - Sales Voucher /Invoice (F8)
  • क्रेडिट नोट वाउचर - Credit Note Voucher (CTRL+ F8)
  • खरीद वाउचर - Purchase Voucher (F9)
  • डेबिट नोट वाउचर - Debit Note Voucher (CTRL+ F9)
  • रिवर्सिंग जर्नल्स - Reversing Journals (F10)
  • मेमो वाउचर - Memo voucher (CTRL+ F10)


इसके अलावे भी कुछ वाउचर हम आवश्यकतानुसार अपनी तरफ से बना सकते है। 


लेखांकन (Accounting ) के नियम के अनुसार,

कॉन्ट्रा वाउचर में सिर्फ उसी लेनदेन (transaction ) का जिक्र किया जाता है जिसमें कैश अकाउंट और बैंक अकाउंट शामिल होता है। जैसे:

कैश एकाउंट से बैंक एकाउंट 
बैंक एकाउंट से कैश एकाउंट 
बैंक एकाउंट से बैंक एकाउंट

भुगतान वाउचर :
इसमें उन भुगतानों का जिक्र होता है जिसका हम बैंक या  कैश  के द्वारा करते हैं।

रसीद वाउचर :
इसका उपयोग कैश या बैंक एकाउंट में प्राप्ति को रिकॉर्ड करने के लिए होता है।

जर्नल वाउचर :
इसका उपयोग दो लेजर के बीच में एडजस्टमेंट के लिए किया जाता है।

बिक्री वाउचर / चालान 

इसका उपयोग सभी कैश  या क्रेडिट बिक्री के लिए किया जाता है। 

क्रेडिट नोट वाउचर 

इसका उपयोग विक्रय  वापसी (sales  return ) में किया जाता है। जब बिका हुआ माल वापस आता है तो हम खरीददार /कस्टमर को क्रेडिट नोट देते हैं।  बिज़नेस में वापस किये हुए माल के बदले में कैश भुगतान बहुत ही कम होता है। 

खरीद वाउचर

इसका उपयोग खरीद से संबंधित (कैश या क्रेडिट ) सभी प्रकार में किया जाता है। 

डेबिट नोट वाउचर 

इसका उपयोग क्रय वापसी (purchase return ) में किया जाता है। 

अब हम वाउचर एंट्री का उपयोग नीचे के उदाहरण के लिए करेंगे। 


शिवम कंप्यूटर के लेनदेन का विवरण (Transaction Details of Shivam Computer)

1-Apr
10,00,000 रुपये के साथ शिवम कंप्यूटर शुरू होता है। उसी दिन  100000 से भारतीय स्टेट बैंक में एक बैंक खाता खोलता है।
2-Apr
30,000 का फर्नीचर और 25,000 का  मशीनरी खरीदा।
3-Apr              
2,00,000 रुपये का सामान खरीदा।
4-Apr
25,000 रुपये का सामान बेचा।
5-Apr
50,000 रुपये के साथ IDBI बैंक में एक बैंक खाता खोलता है।
6-Apr
25,000 का सामान Micro Computer से खरीदता है।
7-Apr
33,000 का सामान Rajesh को बेचता है।
8-Apr
25,000 का कंप्यूटर अपने व्यवसाय के लिए खरीदता हैऔर SBI चेक के द्वारा भुगतान करता है।
9-Apr
20,000 रुपये का भुगतान Micro Computer को IDBI चेक द्वारा करता है।
10-Apr
32,500 रुपये नगद राजेश देता है। राजेश को 500 रुपये का छूट  देता है।
11-Apr
50,000 का सामान Computer World से उधार  में खरीदता है।
12-Apr
30,000 का सामान Rajendra को उधार में बेचता है।
13-Apr
5,000 का सामान Computer World को वापस करता है और SBI चेक द्वारा उसका बचा बकाया देता है।
14-Apr
15,000 का सामान Micro Computer से खरीदकर Raj Computer को 16,500 में बेचता है।
15-Apr
500 का सामान Raj Computers वापस करता है जिसे Micro Computer को वापस कर दिया जाता है।
16-Apr
25,000 SBI में और 10,000 IDBI में जमा करता है।
17-Apr
10,000 का सामान खरीदता है।
18-Apr
6,000 का सामान Digital Computer को नगद में बेचता है।
19-Apr
14,500 का चेक Raj Computers देता है जिसे IDBI बैंक में जमा किया जाता है।
20-Apr
10,000 का सामान नगद खरीदकर 11,500 नगद में बेचता है।
21-Apr
5,000 IDBI बैंक से मालिक के खुद के उपयोग के लिए निकालता है।
22-Apr
10,000 Micro Computer को SBI चेक द्वारा भुगतान करता है।
23-Apr
5,000 का Printer ऑफिस उपयोग के लिए खरीदता है।
24-Apr
20,000 का सामान Micro Computer से खरीदता है 15,000 का नगद भुगतान करता है।
25-Apr
1,000 का Telephone Bill IDBI चेक द्वारा भुगतान करता है।
26-Apr
1,500 जा Electricity Bill  का भुगतान SBI चेक द्वारा करता है।
27-Apr
25,000 का सामान बेचता है।
28-Apr
45,000 का सामान Ranjan Infotech से खरीदता है और उसे 25,000 देता है।
29-Apr
27,000 का सामान Infotech Computer को बेचता है.
30-Apr
10,000 ऑफिस का किराया और 15,000 वेतन का भुगतान करता है। 

Creating a Company in Tally (टैली में एक कंपनी बनाना )

टैली में एक कंपनी बनाना 

1.  Tally 9 स्टार्ट करना।

टैली को निम्नलिखित तरीके से शुरू किया जा सकता है. 

क्लिक कीजिये 
Start > Programs Tally 9 Tally 9. 

या डबल क्लिक  डेस्कटॉप पर बने  Tally 9 आइकॉन पर. 

जैसे ही टैली शुरु होने लगेगा एक वेलकम स्क्रीन आयेगा।


टैली का स्क्रीन इस प्रकार से दिखेगा।




2. Tally 9 से बाहर आना 

टैली 9 से बाहर आने के लिए Esc बटन दबाइए।  
आपको  Quit? Yes or No ? 

 Y  बटन को दबाइए या  Yes पर क्लिक किजिये.  आप टैली से बहार आ जायेंगे। 


3.  Tally 9 में कंपनी बनाना। 

टैली समझने के लिए सबसे पहले कंपनी बनाना अतिआवश्यक है. 

टैली शुरू कीजिये और 
Gateway of Tally > Company Info. > Create Company  जाते हुये  कंपनी बनाइये। 

कंपनी बनाने का स्क्रीन (Company Creation screen) इस प्रकार दिखेगा।



अब दिए गए जानकारी के अनुसार भरिये. 

Name
यह कंपनी का नाम बताता है. 

Mailing Name
इसमें इंटर करके आगे आ जाइये। 

Address
कंपनी का पता भरिये. 

Statutory Compliance for 
 India भरिये. 

State
अपना राज्य भरिये. 

Pin Code
कंपनी का  पिन कोड भरिये. 

Telephone No.
टेलीफोन नंबर भरिये. अगर नहीं है तो छोड़ दीजिए।

E- Mail
कंपनी का ईमेल भरिये. 

Currency Symbol
इसमें  Rs. भरिये. 

Maintain
इसमें  Accounts with Inventory सेलेक्ट कीजिये। 

Financial Year From
इसमें कोई भी वित्तीय वर्ष भरिये.  अगर आप 1-4-2013  भरते हैं तो आपका वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2013  से 31 मार्च 2014  होगा।

Books Beginning From
इसमें कोई बदलाव मत किजिये. 

TallyVault Password
इसमें कोई बदलाव मत किजिये. 

Use Security Control
इसमें कोई बदलाव मत किजिये. 


उदाहरण के लिए हम 
शिवम् कंप्यूटर नाम का एक कंपनी बनाते हैं।  

नीचे दिए गए स्क्रीन के अनुसार कंपनी बनाइये। 


अंत में Y बटन दबा कर कम्पनी बना लिजिये.  जैसे ही आप y स्वीकार करेंगे

The Gateway of Tally screen नीचे वाले स्क्रीन के अनुसार खुलेगा .


4. कंपनी को बंद करना 
Gateway of Tally > Alt + F3 > Company Info. > Shut Company.
या
Alt + F1 को एकसाथ दबाकर भी कंपनी को बंद किया जा सकता है. 

5. कंपनी में बदलाव करना 
Gateway of Tally > Alt + F3 > Company Info. > Alter.
लिस्ट में से कंपनी को सेलेक्ट कीजिये जिसमें आपको बदलाव करना है.  इंटर किजिये. आवश्यकता के अनुसार बदलाव कीजिये और एक्सेप्ट करके बाहर निकल जाइये। 

6. कंपनी को मिटाना (Delete करना )
लिस्ट में से कंपनी को सेलेक्ट कीजिये जिसको आपको डिलीट करना है.  इंटर किजिये. Alt + D एकसाथ दबाइये।  इंटर या Y दबाइये। बस आपका कंपनी डिलीट हो गया. 

लेखा के स्वर्ण नियम (Golden Rule of Accountancy in Hindi )

हर लेन - देन दो खातों को प्रभावित करता है. इसीलिएइसे दोहरी प्रविष्टि प्रणाली बहीखाता कहा जाता है. 

लेखा के स्वर्ण नियम (Golden Rule of Accountancy)

पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C
डेबिट - प्राप्तकर्ता (पाने वाले) को
(Debit The Receiver)
डेबिट  - जो आता है
Debit What Comes In
डेबिट - खर्च और हानि
Debit  All Expenses And Losses
क्रेडिट- दाता ( देने वाले) को
Credit The Giver
क्रेडिट - जो जाता है
Credit What Goes Out
क्रेडिट - मुनाफा और लाभ
Credit All Income And Gains


उदाहरण के लिए मान लीजिये 

अप्रैल 1 . 
शिवम 50,000  रुपये से  व्यापर प्रारंभ करता है. 

अप्रैल 2 .
10,000 रुपये बैंक में जमा करता है.

अप्रैल 3 .
20,000 रुपये का सामान खरीदता है.

अप्रैल 4.
1,500 रुपये का सामान बेचता है.

अप्रैल 5.
1,000  रुपये मकान मालिक  को किराया देता है.

मार्च  10 .
50 रुपये बैंक ब्याज मिलता है. 

इस प्रश्न को बनाने के पहले हमें ये निर्धारित करना होगा कि इन सारे लेन - देन  किन खातों के अंतर्गत आते है.


अप्रैल 1 . 
शिवम 50,000  रुपये से  व्यापर प्रारंभ करता है. 

Capital A/C  - Personal A/C के अंतर्गत आता है. ( कैपिटल अकाउंट मालिक का अकाउंट होता है. )
Cash A/C - Real A/C  के अंतर्गत आता है.



पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C
डेबिट - प्राप्तकर्ता (पाने वाले) को
Cash


क्रेडिट- दाता ( देने वाले) को
Capital




इसलिए,

     Capital A/C - Cr.----------------------50,000
Cash A/C -   Dr.----------- 50,000



अप्रैल 2 .
10,000 रुपये बैंक में जमा करता है.

Bank A/C  - Personal A/C के अंतर्गत आता है.
Cash  A/C - Real A/C के अंतर्गत आता है.



पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C
डेबिट - प्राप्तकर्ता (पाने वाले) को
Bank


क्रेडिट- दाता ( देने वाले) को
Cash





Bank A/C -   Dr.----------- 10,000

       Cash A/C-  Cr.---------------------- 10,000



अप्रैल 3 .
20,000 रुपये का सामान खरीदता है.


Purchase A/C  - Real A/C के अंतर्गत आता है.
Cash  A/C - Real A/C के अंतर्गत आता है.


पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C

डेबिट  - जो आता है
Purchase


क्रेडिट - जो जाता है
Cash



इसलिए,
Purchase A/C -   Dr.----------- 20,000
       Cash A/C -                Cr------------------20,000



अप्रैल 4.
1,500 रुपये का सामान बेचता है.

Cash A/C  - Real A/C के अंतर्गत आता है.
Sales  A/C - Real A/C के अंतर्गत आता है.


पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C

डेबिट  - जो आता है
Cash


क्रेडिट - जो जाता है
Sales



इसलिए,
Cash A/C -   Dr.----------- 1,500


 Sales A/C - Cr.---------------------- 1,500

अप्रैल 4.
1,000  रुपये मकान मालिक को किराया देता है.


Cash A/C  - Real A/C के अंतर्गत आता है.
Rent  A/C - Nominal A/C के अंतर्गत आता है.



पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C


डेबिट - खर्च और हानि
Rent

क्रेडिट - जो जाता है
Cash




इसलिए,
Rent A/C -   Dr.----------- 1,000
 Cash A/C - Cr.---------------------- 1,000


मार्च  10 .
50 रुपये बैंक ब्याज मिलता है. 



Cash A/C  - Real A/C के अंतर्गत आता है.
Rent  A/C - Nominal A/C के अंतर्गत आता है.


पर्सनल A/C
रियल A/C
नॉमिनल A/C

डेबिट  - जो आता है
Cash



क्रेडिट - मुनाफा और लाभ
Interest

इसलिए,
 Cash A/C - Dr.---------------------- 50
Interest A/C -   Cr.----------- 50

(Basics of Accounting) लेखा की मूल बातें

मूल रूप से  तीन प्रकार  के खातों का उपयोग लेनदेन के लिए किया जाता है. 

1. व्यक्तिगत खाता (Personal Accounts) 
2. वास्तविक खाता (Real Accounts)
3. आय - व्यय खाता (Nominal Accounts) 

व्यक्तिगत खाता :   यह खाता व्यक्ति या निजी खातों से सम्बंधित है.  उदाहरण के लिए
• व्यक्ति (Person)
• बैंक (Bank)
• आपूर्तिकर्ता (Suppliers)
• ग्राहक (Customers)
• लेनदारों (Creditors)
• फर्म (Firm)
• पूंजी (Capital)

वास्तविक खाता: वास्तविक खाता व्यापार के स्वामित्व और संपत्ति से संबंधित लेखा हैं. वास्तविक खातों मूर्त और अमूर्त खातों में शामिल हैं. उदाहरण के लिए
• भूमि (Land)
• भवन (Building)
• नकद (Cash)
• खरीद (Purchase)
• बिक्री (Sale)
• फर्नीचर (Furniture)
• स्टॉक (Stock)
• पेटेंट (Patent)
• गुडविल (Goodwill)

आय - व्यय खाता आय, खर्च, लाभ और नुकसान से संबंधित हैं. उदाहरण के लिए
• वेतन (Salary)
• कमीशन (Commission)
• रेंट (Rent)
• प्रकाश (Electricity)
• बीमा (Insurance)
• आय (Income)
• व्यय (Expenditure)
• लाभांश खाता (Dividend)


लेखा को मोटे तौर पर निम्नलिखित चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है.
1. संपत्ति (Assets)
2. देयताएं (Liabilities)
3. आय (Income)
4. व्यय (Expenditure)

लेखांकन के सिद्धान्त , अवधारणा और कन्वेंशन

1. राजस्व प्राप्ति (Revenue Realization)
जिस तारीख को राजस्व  अर्जित किया जाता है उसी तारीख को आय प्राप्ति माना जाता है. इस अवधारणा के अनुसार, अनर्जित राजस्व खाते में नहीं लिया जाता है. यह  अवधारणा एक लेखा अवधि से संबंधित आय का निर्धारण करने के लिए महत्वपूर्ण है. यह आय और मुनाफा बढ़ाने की संभावनाओं को कम कर देता है.


2. अनुरूपता की अवधारणा (Matching Concept) 
इस अवधारणा के अनुसार , एक लेख अवधि में जितने राजस्व की प्राप्ति होती है उसमें से राजस्व प्राप्ति के लिए किये गए खर्च को घटा दिया जाता है.

लाभ(Profit ) = आय (Income) - खर्च (Expenditure) 
इसी लाभ को मालिकों में बांटा जाता है.

3. बढ़ोतरी (एक्रुअल Accrual)-इस नियम में जिस तारीख को लेनदेन किया जाता है उसी तारीख को रिकॉर्ड किया जाता है.
उदाहरण के लिए मान लीजिये 25 तारीख को 10,000 का सामान बिक्री किया गया. इस 10000 बिक्री का पेमेंट 30 तारीख को मिला .
इस स्थिति में भी बिक्री 10 तारीख को ही रिकॉर्ड किया जायेगा।

4. चलायमान (Going Concern)-इस अवधारणा के अनुसार व्यापार कम से कम 12 महीने तक चलता रहेगा।

5. लेखांकन अवधि (Accounting Period)यह वह अवधि है जिसमें लाभ या हानि की गणना की जाती है.  यह 12 महीने या 6 महीने या 3 महीने का भी हो सकता है. 

6. लेखा इकाई Accounting Entity इस धारणा के अनुसार, एक व्यापार एक इकाई होता है तो अपने मालिकों, लेनदारों और दूसरों अलग माना जाता है. उदाहरण के लिए, एकमात्र मालिक वाले व्यापर में भी , मालिक अलग है और व्यापर अलग. अगर मालिक व्यापर को पैसा देता है तो व्यापार उसको क्रेडिट करेगा और अगर मालिक पैसा लेता है तो उसे डेबिट करेगा.

7 . मनी मापन (Money Measurement)लेखांकन में, केवल व्यापार लेनदेन और वित्तीय प्रकृति की घटनाओं को दर्ज करते  हैं. जिस  लेनदेन को पैसे के मामले में व्यक्त किया जा सकता है केवल उसी लेनदेन को दर्ज करते हैं.


दोहरी प्रविष्टि पद्धति (Double Entry System of Book Keeping)

दोहरी प्रविष्टि पद्धति के अनुसार, खातों में दर्ज सभीव्यावसायिक लेनदेन के दो पहलू हैं - डेबिट पहलू(प्राप्ति) और क्रेडिट पहलू (दे). उदाहरण के लिए, एकव्यापार (Assets) परिसंपत्ति (प्राप्ति) का अधिग्रहणऔर इसके लिए (cash) नकद (दे) का भुगतान करतीहै.

बही की दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

• हर व्यापार लेनदेन के दो खातों को प्रभावित करता है
• प्रत्येक लेन - देन के दो पहलुहैं, डेबिट और क्रेडिट।
• सभी व्यावसायिक लेनदेन का पूरा रिकार्ड रखता है
• एक अवधि के दौरान  लाभ या नुकसान का पता लगाने में मदद करता है
• बैलेंस शीट बनाने में मदद करता है
• व्यवस्थित और वैज्ञानिक पद्धति से रिकॉर्डिंग करने के कारण धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम करता है.

लेखांकन का तरीका (Mode of Accounting)

लेखा प्रक्रिया खातों में लेनदेन की पहचान करने औररिकॉर्डिंग के साथ शुरू होता है, लेखा प्रक्रिया में पहलाकदम लेखा बहियों में लेनदेन की रिकॉर्डिंग है. लेखामें केवल उन लेनदेन को शामिल किया जाता हैजिसमें धन शामिल है. इन्हें विभिन्न स्रोतों के द्वाराप्राप्त दस्तावेजों के आधार पर क्रमबद्ध किया जाता है.निम्नलिखित सबसे आम स्रोत दस्तावेज हैं.
• कैश मेमो (Cash Memo)
• चालान या बिल (Invoice or Bill)
• वाउचर (Voucher)
• रसीद (Receipt)
• डेबिट नोट (Debit Note)
• क्रेडिट नोट (Credit Note)


कैश मेमो (Cash Memo)
यह नकद बिक्री के लिए एक भुगतान बिल है.

वाउचर (Voucher)
यह व्यापार लेनदेन से सम्बंधित एक दस्तावेज है.

रसीद (Receipt)
जब  व्यापारी अपने द्वारा बेची गई वस्तुओं के एवजमें ग्राहक से नकदी प्राप्त करता है तो वह ग्राहक केनाम से एक रसीद जारी करता है. इस रसीद में राशिका विवरण और तारीख लिखा रहता है.

चालान या बिल (Invoice or Bill)
जब एक व्यापारी एक खरीदार को माल बेचता हैतो वह खरीददार का नाम और खरीदार का पता,सामान का नाम, राशि और भुगतान की परिस्थिति युक्तएक बिक्री चालान तैयार करता है.
इसी तरह, जब व्यापारी क्रेडिट पर माल खरीदता है तब इस तरह के सामान के आपूर्तिकर्ता से एक / चालान बिल प्राप्त करता है.

जर्नल्स (Journals)
एक जर्नल सभी व्यावसायिक लेनदेन का एककालानुक्रमिक क्रम में प्रवेश जो एक रिकॉर्ड है. किसीएक व्यावसायिक लेन - देन का एक रिकॉर्ड एक जर्नलप्रविष्टि कहा जाता है. हर जर्नल प्रविष्टि संबंधित लेन -देन के साक्ष्य, एक वाउचर द्वारा समर्थित होता है.

खाता (Account)
एक खाता किसी खास संपत्ति, दायित्व, व्यय या आयको प्रभावित करने वाले लेनदेन से सम्बंधित एक बयानहै.

लेजर (Ledger)
एक लेजर सभी खातों के लिए होता है चाहेवो व्यक्तिगत (personal), असली (Real)  यानाममात्र (Nominal) खाता हो. 

पोस्टिंग (Posting)
पोस्टिंग एक ही जगह पर सभी खातों से संबंधितलेनदेन को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है.

लेखांकन अवधि (Accounting Period)
आम तौर पर, लेखांकन अवधी एक साल का होता है.यह त्रिमासिक भी हो सकता है.

शेष - परीक्षण (Trial Balance)

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के नियमों के अनुसार, हर डेबिटका एक इसी राशि  का क्रेडिट होनी चाहिए, डेबिट शेष राशि और क्रेडिट शेष को बराबर होना चाहिए. शेष प्रशिक्षण के लिए निम्नलिखित का उपयोग किया जाता है. 
• खाता नाम (Account Name)
• डेबिट शेष राशि (Debit Balance)
• क्रेडिट शेष राशि (Credit Balance)

टैली क्या है?

Tally.ERP 9 को टैली सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है

टैली सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड एक बेंगलुरु स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी है . यह भारत में सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त वित्तीय सॉफ्टवेयर है . यह वर्तमान में ब्रिटेन , बांग्लादेश और मध्य पूर्व सहित 100 से अधिक देशों में बेचा जाता है .टैली के सॉफ्टवेयर मुख्य रूप से वाउचर  (Voucher) , वित्तीय वक्तव्यों (Financial Statements) , और कई उद्योगों में कराधान (Taxation)  के लिए प्रयोग किया जाता है. यह सॉफ्टवेर खुदरा कारोबार के लिए विशेष उपयोगी है.  उन्नत क्षमताओं के कारण इसकी उपयोगिता एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग पैकेज में भी पाया जाता हैं .

प्रौद्योगिकी

टैली सॉफ्टवेयर एक एसडीके आवरण (SDK wrapper) के साथ एक कोर मालिकाना इंजन (core proprietary engine) के साथ विकसित किया है . टैली की सहभागिता प्रपत्र और रिपोर्ट्स के अधिकांश टैली परिभाषा भाषा ( TDL ) का उपयोग कर विकसित कर रहे हैं . टैली अनुप्रयोग का अनुकूलन TDL एसडीके का उपयोग किया जा सकता है .
  1. Tally.ERP 9
  1. Tally.Developer 9
  1. Shoper 9
  1. Tally.Server 9
नेतृत्व

एस एस गोयनका टैली सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक अध्यक्ष थे.भारत गोयनका सह संस्थापक एवं टैली सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक है .इनको नैसकॉम द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया , और CellIT , एक आईटी चैनल पत्रिका द्वारा, एक लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया है .

      computer network ke prakar

      कंप्यूटर नेटवर्क  के प्रकार (Type of Network)


      नेटवर्क दो या दो से अधिक  एक दूसरे से जुड़े कम्पूटरो के समहू को नेटवर्क कहते है, जो की भौगोलिक रूप से अलग - अलग स्थानों पर रखे होते है।  इसी भौगोलिक मापदण्ड के आधार पर नेटवर्क को तीन भागो में बांटा जा सकता है।
      १- LAN (Local Area Network )
      २ - MAN (Metropolitan Area Network)
      ३- WAN (Wide Area Network )

      १- लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network )


      यह सिमित एरिया में किया जाने वाला नेटवर्क है।  इनका क्षेत्र एक इमारत अथवा एक परिसर जो कुछ किलोमीटर तक फैला हो सकता है, उसमे लगे कंप्यूटर को आपस में इंटरकनेक्ट  किया गया हो जिसमे डाटा, सूचनाओं का आदान- प्रदान  हो सके तो इस प्रकार के नेटवर्क को लोकल एरिया नेटवर्क कहते है।
      LAN network
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      लोकल एरिया नेटवर्क की विशेषताएं (Characteristics of LAN )


      १- लोकल एरिया नेटवर्क एक इमारत  लगभग १० मीटर से १.५ किलोमीटर  क्षेत्र में ही कार्य करता है।  
      २- यह किसी  संगठन के द्वारा उपयोग में लाया जाता है।  
      ३- लोकल एरिया नेटवर्क की लागत सामान्यतः  होती है।  
       ४- इसमें आकड़ो  संचरण की गति १०० मेगाबाइट प्रति सेकंड से २ गीगाबाइट प्रति सेकंड तक होती है।  
      ५- इसमें डाटा संचरण  गलती की संभावना काम होती है।  

      २- मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network )


       इस प्रकार के नेटवर्क भी सिमित एरिया में किया जाने वाला नेटवर्क है।  इस प्रकार का नेटवर्क किसी महानगर की अनेक इमारतों में रखे कम्पूटरो को आपस में इंटरकनेक्ट करने के लिए किया जाता है।  इसका आकर लोकल एरिया नेटवर्क से अधिक होता है।  इस प्रकार के नेटवर्क में कंप्यूटर की संख्या भी LAN से अधिक होता है।  
      MAN network
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      मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क की विशेषताएं (Characteristics of MAN )


      १- मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का भौगोलिक क्षेत्रफल एक महानगर  बराबर हो सकता है।  
      २- यह किसी एक संगठन के एक शहर में फैले कई कार्यालयों  नेटवर्क द्वारा जोड़ने के उपयोग में लाया जाता है।    
      ३- मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क की लागत LAN से अधिक होता है। 

      ३ - वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network )


      यह असीमित एरिया में किया जाने वाला नेटवर्क है।  इनका भौगोलिक क्षेत्रफल सम्पूर्ण विश्व होता है। यह एक देश के कंप्यूटर को दूसरे देश के कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है।  वाइड एरिया नेटवर्क में दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ा जा सकता है। वाइड एरिया नेटवर्क का  सबसे अच्छा उदाहरण इंटरनेट है।
      WAN Network Hinde me
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      वाइड एरिया नेटवर्क की विशेषताएं (Characteristics of WAN )

      १- वाइड एरिया नेटवर्क में भौगोलिक क्षेत्र की कोई सीमा नहीं होती है।  
       २-  वाइड एरिया नेटवर्क को निर्माण करने में काफी खर्च होता है अर्थात लागत सभी नेटवर्क से अधिक होती है।  ३- इसमें डाटा संचरण की गति ५६ किलोबाइट प्रति सेकंड  से १५५ मेगाबाइट प्रति सेकंड  तक होती है।
      ४ - इसमें डाटा प्राप्त करने में कुछ अधिक समय लगता है।  
      ५ - यह कई संगठनों दवरा साझे में प्रयोग किया जाता है।  
      ६ - इसमें डाटा संचरण में गलती होने की संभावना लोकल एरिया नेटवर्क की तुलना में अधिक होता है।

      computer network Kya h

      कंप्यूटर नेटवर्क क्या है ( What is Computer Network) 

      दो या दो से अधिक कंप्यूटर को आपस में इस तरह से कनेक्ट किया जाय की एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर सूचना, संदेश, प्रोग्राम तथा संसाधनों की  शेयर(हिस्सेदारी)  किया जा सके।
      दूसरे शब्दों में कहे तो आपस में जुड़े कम्पूटरो  समूह को कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता है।
      network
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      कंप्यूटर नेटवर्क के मुख्य तत्व (Main Elements of Computer Network)

      कंप्यूटर की नेटवर्किंग करने के लिए कुछ हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एलिमेंट्स की आवश्यकता होती है। 

      १ - सर्वर :-

      सर्वर कंप्यूटर नेटवर्क में सभी कम्पूटरो में से एक केंद्रीय कंप्यूटर (Central Computer) या हम कहे मुख्य कंप्यूटर होता है।  यह कंप्यूटर नेटवर्क में जुड़े सभी कम्पूटरो से तेज गति का कंप्यूटर होता है, और नेटवर्क से जुड़े सभी अन्य कंप्यूटर की आकड़ो, फाइल्स, तथा अन्य  हार्डवेयर डिवाइस के हिस्सेदारी की सुविधा प्रदान करता है।  

      २- वर्क स्टेशन(Work Station ):-

      यह वह कंप्यूटर होता है जो सर्वर कंप्यूटर से जुड़ा होता है, इसे नोड या क्लाइंट कम्प्टूयर भी कहते है।  इन कंप्यूटर पर उपयोगकर्ता कार्य करते है और सर्वर की सेवाओं का उपयोग करते है।

      ३ - माध्यम (Medium):-

      जिसके माध्यम से नेटवर्क के सभी कंप्यूटर आपस में जुड़े  होते है जिसके माध्यम से सूचनाओं का संचरण होता है वह माध्यम कहलाता है। उदाहरण के लिए केबल, सॅटॅलाइट।

      ४ - नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड (Network Interface Card ):-

      इसका उपयोग किसी केबल को कंप्यूटर से जोड़ने में किया जाता है।  यह कार्ड आकड़ो और सूचनाओं के संचरण में कंप्यूटर की सहायता करता है।  इन्हे ईथरनेट कार्ड (Ethernet Card ) भी कहते है।
      Network Interface Card
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      ५ - हब (Hub ):-

      इसका उपयोग नेटवर्क में अलग - अलग कंप्यूटर के तारो को एक साझा बिंदु (Common Point ) पर जोड़ने के लिए किया जाता है।
      HUB Device
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      ६- मॉडेम (Modem):-

      इसका उपयोग डिजिटल आकड़ो को एनालॉग सिंग्नल तथा एनालॉग सिंग्नल को डिजिटल आकड़ो में बदलने के लिए किया जाता है। यह टेलीफोन लाइन से कंप्यूटर को जोडने के  उपयोग में लाया जाता है।
      Computer Modem
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      ७ - प्रोटोकॉल (Protocol):-

      नेटवर्क को सुचारु रूप से चलाने  के लिए कुछ नियमो का पालन करना पड़ता है।  इन्ही नियमो को प्रोटोकॉल कहते है।

      ८ - टोपोलॉजी (Topology):-

      कंप्यूटर नेटवर्क  में कंप्यूटर को किसी माध्यम द्वारा जोड़ने की व्यवस्था को टोपोलॉजी कहते है।  कंप्यूटर को कई प्रकार से जोड़ा जा सकता है।

      नेटवर्क का बारगीकरण (Classification of Network )

      नेटवर्क के तत्वों के आधार  नेटवर्क को दो भागो में वर्गीकृत किया गया है।

      १ - सर्वर नेटवर्क ( Server Network) :-

      इस प्रकार के नेटवर्क में सर्वर एक मुख्य कंप्यूटर होता है और इससे जुड़े कंप्यूटर जिसपर कार्य  किया जाता है जिसे नोड कंप्यूटर या वर्क स्टेशन कहा जाता है।  इसमें सर्वर विभिन्न प्रकार के हो सकते है जैसे - फाइल सर्वर , प्रिंट सर्वर , मेल सर्वर।

      २ - पियर टू पियर नेटवर्क (Peer To Peer Network):-

      इस प्रकार के नेटवर्क में प्रत्येक कंप्यूटर, सर्वर तथा वर्क स्टेशन दोनों प्रकार के कार्य करते है।  इस प्रकार के नेटवर्क में कोई विशेष नेटवर्क नहीं होता है।  इस तरह के नेटवर्क में सभी कंप्यूटर सामान होते है।  इस प्रकार के नेटवर्क को वर्कग्रूप (Work group) भी कहते है।

      software Kya h

      सॉफ्टवेयर किसे कहते है या सॉफ्टवेयर क्या होता है? (What is Software)

      दोस्तों सॉफ्टवेयर को जानने से पहले आप निचे दिए गए लाइन को जरूर जान ले जिससे सॉफ्टवेयर को समझना आसान हो जायेगा.
       निर्देशों के समूह को = कमांड कहते है(collection of instruction= Command)
      कमांड के समूह को = प्रोग्राम  कहते है (Collection of  command  = Program )
      प्रोग्रामो के समूह को = सॉफ्टवेयर कहते है (Collection of Program = Software )

                         सॉफ्टवेयर प्रोग्रामो का समूह होता है,  जो एक विशेष कार्य करता है, जिसे हम छू नहीं सकते, जिसे कंप्यूटर के ऑन मोड में देख सकते है उसे सॉफ्टवेयर कहते है।
      दोस्तों सॉफ्टवेयर कई प्रकार के होते है। जिसे कई वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

      सॉफ्टवेयर का वर्गीकरण (Classification of Software)

      दोस्तों सॉफ्टवेयर को दो  बर्गो में विभक्त किया गया है।
      type of software, Software ke prakar
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      १ - सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

      सिस्टम सॉफ्टवेयर एक या अधिक प्रोग्रामो के समूह है जो मूल रूप से एक कंप्यूटर सिस्टम के कार्यो को कण्ट्रोल करने के डिज़ाइन किये गए है।  सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन प्रोग्राम को क्रियान्वित करने सभी स्टेप्स जैसे सभी कार्यो को कण्ट्रोल करना, डाटा को कंप्यूटर के भीतर और बहार मूव कराना ,  आदि को करने के लिए कंप्यूटर सिस्टम को प्रयोग करने में यूजर की मदद के लिखे गए है।  सिस्टम सॉफ्टवेयर निम्नलिखित कार्य करता है।

      • अन्य सॉफ्टवेयर को चलाना।
      • पेरिफेरल डिवाइस जैसे प्रिंटर्स , कार्ड रीडर , डिस्क और टेप डिवाइस के साथ कम्यूनिकेट करना।
      • अन्य तरह के सॉफ्टवेयर को विकसित करना।
      • विभिन्न हार्डवेयर रिसोर्स जैसे मेमोरी पेरिफेरल , सीपीयू  आदि के प्रयोग को मॉनिटर करना।

      • इस प्रकार सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम को कार्य को अधिक कुशल  प्रभावी बनाते है।
      दोस्तों  सिस्टम सॉफ्टवेयर निम्न प्रकार के होते है

      (i )ऑपरेटिंग सिस्टम :- 

       ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर का ही एक भाग होता है, यह सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत आता है।   ऑपरेटिंग सिस्टम एक मास्टर प्रोग्राम होता है जो जो कंप्यूटर को चलता है और एक scheduler की तरह काम करता है।  ये सिग्नल के फ्लो को सीपीयू   विभिन्न भागो तक कंट्रोल करते है।  कंप्यूटर के स्विच on होने के बाद यही पहला प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर की मेमोरी में लोड होता है।
      ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ उदाहरण निम्न है।

      • MS DOS 
      • Windows 
      • Unix 

      ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, क्योंकि यह उन सभी  application software को जो इस पर सकते है, के लिए standard सैट करता है।  सभी प्रोग्राम इस तरह लिखे होने चाहिए की जिससे ऑपरेटिंग सिस्टम बात कर सके।
      ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न कार्य करते है।

      • Job management 
      • Task Management 
      • Data Management 
      • Security 
      • Boot Strap 

      जॉब मैनेजमेंट (Job Management )

      छोटे कंप्यूटर में, ऑपरेटिंग सिस्टम , users से मिले हुए कमांड को Respond करता है।  और execution के लिए  मनचाहे एप्लीकेशन प्रोग्राम को लोड करता है।  एक बड़े कंप्यूटर में, ऑपरेटिंग सिस्टम अपने जॉब कण्ट्रोल का संचालन करता है जिन्हे प्रोग्राम के मिक्स में वर्णित करता है, जो पूरी शिफ्ट के  सके।

      टास्क मैनेजमेंट (Task Management)

      ऑपरेटिंग सिस्टम का वास्तव में सिंगल टास्किंग कंप्यूटर के पास  टास्क मैनेजमेंट नहीं होता है, लेकिन मल्टी टास्क कंप्यूटर में यह एक  अधिक प्रोग्राम (Job ) के लगातार होने वाले कार्यो के लिए जिम्मेदार रहता  है।  

      डाटा मैनेजमेंट (Data Management )

      ऑपरेटिंग सिस्टम का एक महतवपूर्ण कार्य  है डाटा का ट्रैक रखना। एप्लीकेशन प्रोग्राम को पता  नहीं रहता की डाटा वास्तव में कहा पर स्टोर किया गया है  इसे कैसे पाना है यह ज्ञान ऑपरेटिंग सिस्टम के एक्सेस के तरिके  या डिवाइस ड्राइवर रूटीन में होता है।

      सिक्योरिटी (Security)

      मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम में Authorized User एक लिस्ट मेन्टेन करते है और Unauthorized User  खिलाफ पासवर्ड प्रोटेक्शन प्रदान करता है।

      बूट स्ट्रैप प्रोग्राम (Boot Strap Program)

      बूट का अर्थ यही स्टार्ट या कंप्यूटर सिस्टम को रेडी करना जिससे यह हमारे प्रोग्रामो को ले सके।
      कंप्यूटर की बूटिंग ROM  निर्देशों को इसकी मेन मेमोरी में लोड करने में मदद करती है।

      (ii ) भाषा परिवर्तक (Language Translator)

      वह सिस्टम सॉफ्टवेयर जो उच्च श्रेणी भाषा (High Level Language ) या असेंबली भाषा (Assembly Language ) लिखे प्रोग्रामो को मशीन भाषा में परिवर्तित (Translate ) करता है उसे भाषा परिवर्तक कहते है।
      भाषा परिवर्तक तीन प्रकार के होते है।

      (१) असेंबली (Assembly)

      यह असेंबली भाषा में लिखे प्रोग्रामो को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।

      (२ ) कम्पाइलर (compiler )

      यह उच्च श्रेणी भाषा में लिखे प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।  यह पुरे प्रोग्राम को एक बार में पढ़कर उनको मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।  

      (३) इंटरप्रेटर (Interpreter )

      यह भी उच्च श्रेणी के कंप्यूटर के भाषा में लिखे प्रोग्रामो को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, परन्तु यह प्रोग्राम को एक बार में पढ़कर उनको मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।  

      (iii )यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (utility Software )

      वह सिस्टम सॉफ्टवेयर जो कंप्यूटर सिस्टम और उसके विभिन्न भागो को सही रखने  सहायता करते है।  वह यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कहलाते है।  कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद  है जैसे Disk Cleanup , Scan Disk , Disk Manager आदि।

      (iv ) डिवाइस ड्राइवर सॉफ्टवेयर (Device Driver Software)

      डिवाइस ड्राइवर सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत ही आते है यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के जो भी पेरिफेरल डिवाइस  होती है उन्हें चलाने के लिए डिवाइस ड्राइवर सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।  उदाहरण के लिए प्रिंटर, और स्कैनर आदि डिवाइस।  

      २- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)

      वह साफ्ट्वरे जो कोई विशिष्ट कार्य करते है उन्हें एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहते है।  एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को दो भागो में बांटा जा सकता है।

      (i) सामान्य उद्देश्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर( General Purpose Application Software)

       इस प्रकार के सॉफ्टवेयर सामान्य कार्यो के लिए उपयोग किये जाते है।  उदाहरण के लिए MS Word , MS Excel, MS Access, Page Maker,

      (ii) विशेष उद्देश्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (spacial Purpose Application software)


      इसके अंतर्गत वह सॉफ्टवेयर आते है जो किसी विशेष कार्य के लिए व्यक्तिगत बनाये गए सॉफ्टवेयर होते है जिसे वही व्यक्ति कार्य करता है जिसके लिए वह सॉवरे निर्माण किया गया है।

      HTML Kya hai

      मित्रों क्या आप  इंटरनेट  का प्रयोग करते हैं यदि  आप इंटरनेट का प्रयोग करते होंगे  तो  आपको पता होगा  की  जब किसी सूचना को सर्च करते हैं  तो वह सूचना  किसी ना किसी वेबसाइट के द्वारा  आपको प्राप्त होता है और  कभी आप ऐसा भी करते हैं  की  किसी ब्राउज़र प्रोग्राम  जैसे  इंटरनेट एक्सप्लोरर,  मोज़िला फायरफॉक्स,  क्रोम  में  आप  किसी वेबसाइट का नाम  लिखते हैं  और वह  वेबसाइट  खुल जाता है  और उसमें रखी गई सूचनाएं  आपको प्राप्त हो जाती हैं मित्रों  इंटरनेट पर सूचना  हमें  किसी ना किसी वेबसाइट के द्वारा ही  प्राप्त होती है  तो  आपको  यह जान लेना आवश्यक है कि  यह वेबसाइट  कैसे बनती है  मित्रों वेबसाइट कई वेब पेज का समूह होता है और वेब पेज एचटीएमएल लैंग्वेज के द्वारा ही बनाए जाते हैं एचटीएमएल भाषा का प्रयोग करके वेब पेज में विभिन्न प्रकार की सूचनाएं रखते हैं और बनाए गए सभी Webpage  को एक दूसरे से जोड़कर एक वेबसाइट बनाए जाते हैं इसीलिए वेबसाइट को वेब पेजों का समूह कहा जाता है मित्रों वेबसाइट बनाने के लिए बहुत से सॉफ्टवेयर जैसेHTML, (hyper text markup language),  XML (extensible markup language), ASP,  (Active server page) and Front page  का प्रयोग वेबसाइट की डिजाइन करने के लिए किया जाता है, किंतु HTML  एक आदर्श simple language  है जिसके द्वारा वेब पेज की डिजाइनिंग   किया जाता है वेब पेज क्रिएट करने के लिए एचटीएमएल में विभिन्न प्रकार के टैग होते हैं, और इस टैग का प्रयोग करके एचटीएमएल डॉक्यूमेंट में वेब पेज का निर्माण करते हैं मित्रों टैग के द्वारा ही हम वेब पेज में विभिन्न प्रकार के सूचनाएं रख पाते हैं जैसे यदि हमको वेब पेज में हेडिंग  बनाना हो, टाइटल लिखना हो , और उसे कलर करना हो ,बोल्ड करना हो ,इटैलिक करना हो ,पिक्चर इंसर्ट करना हो, टेबल बनाना हो, फार्म बनाना , एक  वेब पेज को  दूसरे वेब पेज से जुड़ने हो  तो आदि सभी कार्यों के लिए एचटीएमएल में टैग होते हैं  जिन्हें लिखने के लिए एक तरीका होता है  यदि हम किस टैग को किस तरह से लिखकर वेब पेज पर सूचनाएं रखेंगे   यह हम सभी टैग को समझ लें और उसके लिखने के तरीका को जान लें तो हम एचटीएमएल का यूज करके बहुत ही आकर्षक वेब पेज बना सकते हैं और वेबसाइट की डिजाइनिंग कर सकते हैं मित्रों आपको यह भी जान लेना आवश्यक है कि एचटीएमएल के बाद यदि आप अन्य लैंग्वेज जैसे सीएस(CSS)  जावास्क्रिप्ट (javascript) और पीएचपी (PHP)लैंग्वेज की जानकारी है तो आप एक अच्छा वेब साइट developer  बन सकते हैं हालांकि एचटीएमएल लैंग्वेज वेबसाइट डिजाइन में बहुत बड़ा योगदान है और आपको यह जानना अत्यंत आवश्यक है यदि आप  एक वेबसाइट डिजाइनर बनना चाहते हैं तो.
       मित्रों एचटीएमएल लैंग्वेज का प्रयोग करने के लिए  किसी भी टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम( notepad, visual studio code, etc)  का प्रयोग कर सकते हैं और उसमें टैग के द्वारा coding  कर सकते हैं,  मित्रों आप लोग यदि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम यूज करते हैं तो उसमें नोटपैड प्रोग्राम विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ निशुल्क में उपलब्ध रहता है आप उससे ओपन करके उसमें कोडिंग कर सकते हैं नोटपैड को ओपन करने के लिए यदि आप विंडोज 10 यूज़ कर रहे हैं तो सबसे पहले स्टार्ट बटन पर 
      क्लिक करें उसके बाद ओपन मेन्यू में देखें  नोटपैड प्रोग्राम यदि नहीं दिखाई देता है तो आप आगे ऑल एप्स (ALL APP) पर  क्लिक करें और ओपन menu  में ध्यान से देखें नोटपैड प्रोग्राम को उसमें जरूर आपको मिल जाएगा यदि आपको वहां पर भी नहीं मिला तो टास्कबार में या स्टार्ट बटन के जस्ट ऊपर आपको सर्च बॉक्स मिल जाएगा उसमें नोटपैड टाइप करके इंटर बटन click  करेंगे तो नोटपैड प्रोग्राम ओपन हो जाएगा उसके बाद आप नोटपैड प्रोग्राम में अपनी वेब पेज बनाने के लिए टैग का यूज़ करके सूचनाएं स्टोर करें आप अपने कोडिंग पूरा कर लेते हैं तो उस फाइल को save करते समय  फाइल नेम के बाद आपको .htm  लिखना होगा।
       मित्रों विंडोज 7 नोटपैड कैसे ओपन किया जाता है उसे नीचे स्टेट स्टेप दिए गए हैं जिसे फॉलो कर कर आप अपना नोटपैड प्रोग्राम ओपन कर सकते हैं.

      Click start button > search notepad in search programm > open notepad pragramm window.
      how to start notepad program
      How to write html code


      How to save html page
      Create html file


      मित्रों आगे हम एचटीएमएल लैंग्वेज की कुछ विशेषताएं और उसके लाभ के बारे में संक्षिप्त वर्णन किया हूं क्योंकि यह भी जान लेना बहुत आवश्यक है आप लोगों के लिए उसके बाद मैं आप लोगों को एचटीएमएल टैग के बारे में  अगले पोस्ट में विस्तृत जानकारी दूंगा

      Feature and Benefits of HTML 

       एचटीएमएल web  पर document  को प्रस्तुत करने के लिए बहुत ही आसानी से प्रयोग करने वाला भाषा है HTML document  text editor जैसे notepad किसी वर्ड प्रोसेसर सॉफ्टवेयर के साथ निर्माण किया जा सकता है
      एचटीएमएल यूजर को विभिन्न प्रकार के बेनिफिट्स प्रदान करता है जो निम्नलिखित है
      १ - यह  भाषा सीखने में बहुत आसानी होता है और इसके कमांड्स बहुत ही कम समय में क्रियान्वित हो जाते हैं

      २ - Hypertext markup language  एक स्वतंत्र लैंग्वेज है जो किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम पर क्रियान्वित हो सकता है

      ३-  HTML विभिन्न प्रकार के tag का प्रयोग डॉक्यूमेंट को अट्रैक्टिव बनाने के लिए अनुमति प्रदान करता है,

      ४-  आप एचटीएमएल का प्रयोग वेब पेज पर इमेज टेबल एनीमेटेड टेक्स्ट साउंड या ग्राफिक्स इंसर्ट कर सकते हैं

      ५- यह विभिन्न वेब पेज को जोड़ने के लिए अनुमति देता है
      ६- यह प्रयोग करता से बातचीत करने के लिए फार्म और प्रेम की सुविधा भी प्रदान करता है

      Excel Kya hai

      What is MS Excel in Hindi(M.S Excel क्या है?  विस्तृत जानकारी  हिन्दी में)

      MS Excel Microsoft Office  के पैकेज का application software  है  जिसमें अंकगणितीय और तार्किक क्रियाएं बहुत ही आसानी से की जाती है इसके अलावा conditional formatting, table, pivot table, chart, shorting,  filter,  invoice,  memo,  bill,  MIS report आदि कार्य बहुत ही आसानी से किया जाता है
      MS Excel  को स्प्रेडशीट प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है MS Excel  में जो फाइल बनाई जाती है वह workbook file कहा जाता है इसका विस्तारित ने(extension name). xlsx  होता है मित्रों आप लोगों को जानकारी के लिए बता दे किसी भी फाइल का एक्सटेंशन नेम उस फाइल की पहचान होती है कि वह फाइल किस एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बनाया गया है
       मित्रों जब आप एम एस एक्सेल को ओपन करेंगे तो देखेंगे कि उसका विंडो प्रोग्राम कुछ इस तरह से दिखाई देगा
      what is ms excel in hindi
      ms excel 2016मित्रों
       मित्रों अब हम एम एस एक्सेल के विंडो प्रोग्राम में दी गई सभी टूल्स कमांड के बारे में क्रम से जानेंगे जो नीचेे दिया गया

      Title bar

       मित्रों विंडो के सबसे ऊपर पट्टी होता है जिस के राइट साइड में तीन बटन( close, maximize/restore, minimize) होता है जो फाइल नेम को प्रदर्शित करता है टाइटल बार का मतलब ही होता है फाइल का टाइटल दिखाना यदि वह workbook file किसी नाम से सेब है तो उसका नाम प्रदर्शित करेगा अन्यथा अनटाइटल्ड लिखा हुआ दिखाई देगा.

      Tab button

       टाइटल बार की नीचे file,  home, insert,  page layout, formula, data,  review, view  बटन होते हैं जिन पर क्लिक करने पर उसका एक रिबन अर्थात चौड़ी पट्टी प्रदर्शित होता है और उस पर विभिन्न प्रकार के कमांड अलग-अलग ग्रुप में प्रदर्शित होते हैं  उस कमांड पर क्लिक करके हम अपना वर्क बुक फाइल में कार्य को करने के लिए निर्देश देते हैं

      Address bar and formula bar

       मित्रों  Ribbon के नीचे और  वर्कशीट के जस्ट ऊपर एक पतली पट्टी  है   जिसमें  एक्टिव सेल का एड्रेस दिखाता है उसे एड्रेस बार कहते हैं और जहां पर किसी सेल में लगाए गए फार्मूला को प्रदर्शित करता है उसे फार्मूला बात करते हैं मित्रों फॉर्मूला बार और एड्रेस बार एक ही पट्टी में एक दूसरे के बगल में रहते हैं राइट साइड में एड्रेस होता है और उसके लेफ्ट साइड में फार्मूला बार होता है

      Work book

       मित्रों  MS Excel  में जब हम एक नई फाइल बनाते हैं तो वह फाइल वर्कबुक फाइल कहलाती है  वैसे साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि वर्कशीट के समूह को वर्क बुक कहते हैं मित्रों एक वर्कबुक में बहुत से वर्कशीट हो सकते हैं आप यदि एम एस एक्सेल 2016 प्रयोग कर रहे हैं तो जब आप एक न्यू फाइल बनाते हैं तो उसने एक वर्कशीट बाय डिफ़ॉल्ट open  रहता है आप चाहे जितना वर्कशीट  लेना worksheet  के बगल में प्लस का साइन बना होगा उस पर mouse pointer  क्लिक करके चाहे उतना वर्कशीट ले सकते है

      Worksheet

       मित्रों वर्कशीट एम एस एक्सेल में जो रो और कॉलम से बांटा गया रहता है उसे वर्कशीट करते हैं एक worksheet में 1048576 row होते हैं और 16384 column  होते हैं यह संख्या 2016 के संस्करण में पाया जाता है worksheet  के रो को 1234 से चिन्हित किया गया रहता है तथा कालम को A, B, C, D से चिन्हित किया गया रहता है  अंतिम कॉलमxfd  होता है

      Cell

       मित्रों  worksheet  मैं रो और कॉलम से घिरे हुए भाग को सेल कहते हैं जिसके अंदर कोई कंटेंट अर्थात टेक्स्ट अर्थात जहां आप  वैल्यू लिखते हैं

      Cell reference

       मित्रों एम एस एक्सेल में सेल रेफरेंस अर्थात सेल एड्रेस दो प्रकार के होते हैं एक रिलेटिव सेल रेफरेंस जिसे a1, a2, a3 लिखा जाता है दूसरा एब्सलूट सेल रेफरेंस होता है जिसे $a$1,$a$2, $a$3  लिखा जाता है इन दोनों तरीकों से किसी भी सेल का एड्रेस हम  लिखते हैं

      view tab

       View tab in MS Word in Hindi (MS Word व्यू टैब की विस्तृत जानकारी)


      मित्रों एमएस वर्ड में view tab का प्रयोग डॉक्यूमेंट pages को को अलग अलग  तरीकों से देखने के लिए  और विभिन्न टूल को दिखाने और छिपाने के लिए किया जाता है मित्रों MS word  view टैब को 5 group  बांटा गया है जो क्रमशः Document view,  Show/hide, Zoom,  window, macro
      view tab in ms word 2016


      Document view

       मित्रों MS Word view tab   में विभिन्न प्रकार के कमांड पाए जाते हैं जो नीचे दिया गया
      Print layout, Full screen reading,  web layout, outline, draft.

      Print layout

      Print layout mode  मे document page वैसा ही दिखता है जैसा प्रिंट करने पर दिखेगा इसलिए उसके काम के अनुरूप है इसका नाम भी है और जब हम एमएस वर्ड को ओपन करते हैं तो डॉक्यूमेंट पेज डिफॉल्ट प्रिंट लेआउट मोड में ओपन रहता है

      Full screen reading

      Full screen reading  इस मोड में डॉक्यूमेंट page  पूरा स्क्रीन हो जाता है जिसे हम सिर्फ रीड कर सकते हैं अर्थात सिर्फ पढ़ने का कार्य कर सकते हैं इस मोड में हम कार्य नहीं कर सकते हैं

      Web Layout 

      Web Layout  मित्रों इस layout  में document page वेब पेज जैसे किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं तो दिखाई देता है उसी तरह एमएस वर्ड के डॉक्यूमेंट भेज दिखाई देने लगता है यदि हम वेब पेज के रूप में देखना चाहते हैं अपने पेज को तो वेब लेआउट मोड में देख सकते हैं

      Outline

      Outline  मित्रों document page  को outline mode मैं करने पर डॉक्यूमेंट पेज में लिखें टेक्स्ट पैराग्राफ और हेडिंग क्रिएट जहां किए गए होते हैं वहां पर बुलेट तथा जूम इन इन जूम आउट का चिन्ह बन जाता है
      Draft mode  मित्रों अपने डॉक्यूमेंट पेज को मोड में करने पर डॉक्यूमेंट में page पूरा विंडो के रूप में हो जाता है तथा सेट किए गए मार्जिन और और  सिर्फ होरिजेंटल रूलर दिखाई देते हैं

      Show/ hide

       मित्रों शो और हाइट ग्रुप के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कमांड पाए जाते हैं जो क्रमशः है
      Ruler  इस आसन को चेक करने पर डॉक्यूमेंट भेज के ऊपर और लेफ्ट साइड में रूलर दिखाई देने लगता है और इसे unchecked करने पर रूलर छिप जाता है

      Document map

      Document map इस आसन को चेक करने पर लेफ्ट साइड में ट्रांस पेन  दिखाई देने लगता है जिसमें डॉक्यूमेंट में बनाए गए heading  को दिखाता है किसी भी हेडिंग पर क्लिक करने पर सीधे cursor उस heading पर पहुंच जाता है

      Grisliness

      Grisliness  इस ऑप्शन को चेक करने पर document page में grid line show  होने लगता है

      Thumbnails

      Thumbnails  इस ऑप्शन को चेक करने पर document  के बाएं साइड में एक टास्क पेन दिखाई देता है जिसमें सभी पेज छोटे-छोटे थंबनेल के रूप में प्रदर्शित होता है

      Zoom

       इस ग्रुप के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कमांड से होते हैं जो नीचे क्रमशः दिया गया है
      Zoom,  100%, one page,  two pages,  page width,
       मित्रों इस ग्रुप में उपलब्ध कमांड्स के द्वारा डॉक्यूमेंट के पेज को जूम इन और जूम आउट करके छोटा या बड़ा रूप में देखा जाता है उसके बाद हंड्रेड परसेंट पिक क्लिक करने पर डॉक्यूमेंट भेज वास्तविक साइज के रूप में हो जाता है और 1 पेज ऑप्शन पर क्लिक करने पर हमारा डॉक्यूमेंट भेज एक -एक पेज के रूप में दिखाई देता है two pages ऑप्शन पर क्लिक करने से हमारा डॉक्यूमेंट पेज दो दो पेज के रूप में प्रदर्शित करने लगता है तथा पेज विद ऑप्शन पर क्लिक करने पर हमारा डॉक्यूमेंट भेज पूरा विंडो थोड़ा बड़ा स्क्रीन करके दिखाता है

      Window

       विंडो ग्रुप के अंतर्गत new window,  arrange all,  split,  view side by side, switch window  कमांड होते हैं

      New option

      New option  के द्वारा आप अपने डॉक्यूमेंट के विंडो के जैसा जितना चाहे उतना विंडो ले सकते हैं अर्थात अपने डॉक्यूमेंट विंडो का डुप्लीकेट विंडो ले सकते हैं

      Arrange all

      Arrange all  इस ऑप्शन के द्वारा जो आप ऑप्शन के द्वारा एक से अधिक डुप्लीकेट विंडो लिया है उसको अरेंज करने अर्थात व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है जब आप एक से अधिक विंडो लिए हो तो अरेंज ऑल ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो आप देखेंगे कि सभी विंडो ऑटोमेटिक व्यवस्थित हो जाएंगे

      Split

      Split इस आसन का प्रयोग अपने डॉक्यूमेंट के पेज को अपनी इच्छा अनुसार जिस जगह से स्प्लिट अर्थात बांटना चाहते हैं उसे वहां से बांट सकते हैं बस स्प्लिट ऑप्शन पर एक बार आप क्लिक करें उसके बाद आप देखेंगे कि आपका माउस प्वाइंटर एक लाइन के रूप में उधर जाएगा और जिस स्थान से आप बांटना चाहते हैं अपनी स्क्रीन को वहां पर क्लिक करेंगे तो देखेंगे   आपका document window 2 भागों में बांट चुका है फिर आप जिस एरिया में काम करना चाहते हैं आप काम कर सकते हैं इसके बाद इस आसन को यदि आप हटाना चाहते हैं तो इस प्लीज ऑप्शन के जगह रिमूव स्प्लिट होगा बस उस पर क्लिक करते ही आपका स्प्लिट किया गया डॉक्यूमेंट हट जाएगा और अपने पहली अवस्था में हो जाएगा

      View side by side

      View side by side  इस आसन का प्रयोग तब किया जाता है जब आपने न्यू विंडो के द्वारा एक से अधिक विंडो लिए हो तो उससे साइड बाइ साइड के द्वारा व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है जब आप ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो आप देखेंगे कि आपके द्वारा लिए गए न्यू विंडो ऑटोमेटिक व्यवस्थित हो जाएंगे एक साइड के अनुसार

      Switch window 

      Switch window  इस option  का प्रयोग किया जाता है जब आप एक से अधिक विंडो लिए हो तो एक विंडो को छोड़कर दूसरे विंडो में जाने के लिए स्विच विंडो ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है

      Macro

       इस कमांड का प्रयोग document page  आप कोई टेक्स्ट लिख रहे हैं हो उससे रिकॉर्ड करना चाहते हैं तो माइक्रो ऑप्शन में जाकर रिकॉर्ड माइक्रो पर क्लिक करेंगे तो आपके सामने एक के रिकॉर्ड मैक्रो विंडो आएगा जिसमें माइक्रो नेम देकर सेव कर ले उसके बाद mouse pointer पर एक टेप रिकॉर्डर की भांति एक चिन्ह बन जाएगा उसके बाद आप डॉक्यूमेंट में जो कुछ भी लिखेंगे वह सभी चीज रिकॉर्ड होता रहेगा यदि आप अपने माइक्रो रिकॉर्डिंग को कुछ समय के लिए रोकना चाहते हैं तो pause रिकॉर्डिंग ऑप्शन पर क्लिक करने पर आप का माइक्रो रिकॉर्ड कुछ समय के लिए रुक जाएगा और फिर आप रिकॉर्ड करना चाहते हैं तो start रिकॉर्डिंग ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो वह रिकॉर्डिंग फिर से शुरू हो जाएगा यदि आप सभी मैटर लिख लिए हो तो उस रिकॉर्ड को स्टॉप करना चाहते हैं अर्थात बंद करना चाहते हैं तो स्टॉप रिकॉर्डिंग ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो वह रिकॉर्डिंग समाप्त हो जाएगा और सभी रिकॉर्ड आपने जो लिखा है वह रिकॉर्ड हो जाएगा उस रिकॉर्ड को देखने के लिए जो आपने मैक्रो रिकॉर्डिंग की है उसके लिए view माइक्रो ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो आपके द्वारा रिकार्ड किए गए सभी दिखाई देंगे यदि आपको डॉक्यूमेंट में किसी जगह पर उस सूचना को फिर से लिखना हो तो सिर्फ उसको सेलेक्ट करके आप run option पर क्लिक करेंगे तो वह रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट में आ जाएगा आपको उसे दोबारा लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी जब जब आपको आवश्यकता पड़े डॉक्यूमेंट के किसी भी जगह पर उसे रन करके ला सकते हैं