(Basics of Accounting) लेखा की मूल बातें

मूल रूप से  तीन प्रकार  के खातों का उपयोग लेनदेन के लिए किया जाता है. 

1. व्यक्तिगत खाता (Personal Accounts) 
2. वास्तविक खाता (Real Accounts)
3. आय - व्यय खाता (Nominal Accounts) 

व्यक्तिगत खाता :   यह खाता व्यक्ति या निजी खातों से सम्बंधित है.  उदाहरण के लिए
• व्यक्ति (Person)
• बैंक (Bank)
• आपूर्तिकर्ता (Suppliers)
• ग्राहक (Customers)
• लेनदारों (Creditors)
• फर्म (Firm)
• पूंजी (Capital)

वास्तविक खाता: वास्तविक खाता व्यापार के स्वामित्व और संपत्ति से संबंधित लेखा हैं. वास्तविक खातों मूर्त और अमूर्त खातों में शामिल हैं. उदाहरण के लिए
• भूमि (Land)
• भवन (Building)
• नकद (Cash)
• खरीद (Purchase)
• बिक्री (Sale)
• फर्नीचर (Furniture)
• स्टॉक (Stock)
• पेटेंट (Patent)
• गुडविल (Goodwill)

आय - व्यय खाता आय, खर्च, लाभ और नुकसान से संबंधित हैं. उदाहरण के लिए
• वेतन (Salary)
• कमीशन (Commission)
• रेंट (Rent)
• प्रकाश (Electricity)
• बीमा (Insurance)
• आय (Income)
• व्यय (Expenditure)
• लाभांश खाता (Dividend)


लेखा को मोटे तौर पर निम्नलिखित चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है.
1. संपत्ति (Assets)
2. देयताएं (Liabilities)
3. आय (Income)
4. व्यय (Expenditure)

लेखांकन के सिद्धान्त , अवधारणा और कन्वेंशन

1. राजस्व प्राप्ति (Revenue Realization)
जिस तारीख को राजस्व  अर्जित किया जाता है उसी तारीख को आय प्राप्ति माना जाता है. इस अवधारणा के अनुसार, अनर्जित राजस्व खाते में नहीं लिया जाता है. यह  अवधारणा एक लेखा अवधि से संबंधित आय का निर्धारण करने के लिए महत्वपूर्ण है. यह आय और मुनाफा बढ़ाने की संभावनाओं को कम कर देता है.


2. अनुरूपता की अवधारणा (Matching Concept) 
इस अवधारणा के अनुसार , एक लेख अवधि में जितने राजस्व की प्राप्ति होती है उसमें से राजस्व प्राप्ति के लिए किये गए खर्च को घटा दिया जाता है.

लाभ(Profit ) = आय (Income) - खर्च (Expenditure) 
इसी लाभ को मालिकों में बांटा जाता है.

3. बढ़ोतरी (एक्रुअल Accrual)-इस नियम में जिस तारीख को लेनदेन किया जाता है उसी तारीख को रिकॉर्ड किया जाता है.
उदाहरण के लिए मान लीजिये 25 तारीख को 10,000 का सामान बिक्री किया गया. इस 10000 बिक्री का पेमेंट 30 तारीख को मिला .
इस स्थिति में भी बिक्री 10 तारीख को ही रिकॉर्ड किया जायेगा।

4. चलायमान (Going Concern)-इस अवधारणा के अनुसार व्यापार कम से कम 12 महीने तक चलता रहेगा।

5. लेखांकन अवधि (Accounting Period)यह वह अवधि है जिसमें लाभ या हानि की गणना की जाती है.  यह 12 महीने या 6 महीने या 3 महीने का भी हो सकता है. 

6. लेखा इकाई Accounting Entity इस धारणा के अनुसार, एक व्यापार एक इकाई होता है तो अपने मालिकों, लेनदारों और दूसरों अलग माना जाता है. उदाहरण के लिए, एकमात्र मालिक वाले व्यापर में भी , मालिक अलग है और व्यापर अलग. अगर मालिक व्यापर को पैसा देता है तो व्यापार उसको क्रेडिट करेगा और अगर मालिक पैसा लेता है तो उसे डेबिट करेगा.

7 . मनी मापन (Money Measurement)लेखांकन में, केवल व्यापार लेनदेन और वित्तीय प्रकृति की घटनाओं को दर्ज करते  हैं. जिस  लेनदेन को पैसे के मामले में व्यक्त किया जा सकता है केवल उसी लेनदेन को दर्ज करते हैं.


दोहरी प्रविष्टि पद्धति (Double Entry System of Book Keeping)

दोहरी प्रविष्टि पद्धति के अनुसार, खातों में दर्ज सभीव्यावसायिक लेनदेन के दो पहलू हैं - डेबिट पहलू(प्राप्ति) और क्रेडिट पहलू (दे). उदाहरण के लिए, एकव्यापार (Assets) परिसंपत्ति (प्राप्ति) का अधिग्रहणऔर इसके लिए (cash) नकद (दे) का भुगतान करतीहै.

बही की दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

• हर व्यापार लेनदेन के दो खातों को प्रभावित करता है
• प्रत्येक लेन - देन के दो पहलुहैं, डेबिट और क्रेडिट।
• सभी व्यावसायिक लेनदेन का पूरा रिकार्ड रखता है
• एक अवधि के दौरान  लाभ या नुकसान का पता लगाने में मदद करता है
• बैलेंस शीट बनाने में मदद करता है
• व्यवस्थित और वैज्ञानिक पद्धति से रिकॉर्डिंग करने के कारण धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम करता है.

लेखांकन का तरीका (Mode of Accounting)

लेखा प्रक्रिया खातों में लेनदेन की पहचान करने औररिकॉर्डिंग के साथ शुरू होता है, लेखा प्रक्रिया में पहलाकदम लेखा बहियों में लेनदेन की रिकॉर्डिंग है. लेखामें केवल उन लेनदेन को शामिल किया जाता हैजिसमें धन शामिल है. इन्हें विभिन्न स्रोतों के द्वाराप्राप्त दस्तावेजों के आधार पर क्रमबद्ध किया जाता है.निम्नलिखित सबसे आम स्रोत दस्तावेज हैं.
• कैश मेमो (Cash Memo)
• चालान या बिल (Invoice or Bill)
• वाउचर (Voucher)
• रसीद (Receipt)
• डेबिट नोट (Debit Note)
• क्रेडिट नोट (Credit Note)


कैश मेमो (Cash Memo)
यह नकद बिक्री के लिए एक भुगतान बिल है.

वाउचर (Voucher)
यह व्यापार लेनदेन से सम्बंधित एक दस्तावेज है.

रसीद (Receipt)
जब  व्यापारी अपने द्वारा बेची गई वस्तुओं के एवजमें ग्राहक से नकदी प्राप्त करता है तो वह ग्राहक केनाम से एक रसीद जारी करता है. इस रसीद में राशिका विवरण और तारीख लिखा रहता है.

चालान या बिल (Invoice or Bill)
जब एक व्यापारी एक खरीदार को माल बेचता हैतो वह खरीददार का नाम और खरीदार का पता,सामान का नाम, राशि और भुगतान की परिस्थिति युक्तएक बिक्री चालान तैयार करता है.
इसी तरह, जब व्यापारी क्रेडिट पर माल खरीदता है तब इस तरह के सामान के आपूर्तिकर्ता से एक / चालान बिल प्राप्त करता है.

जर्नल्स (Journals)
एक जर्नल सभी व्यावसायिक लेनदेन का एककालानुक्रमिक क्रम में प्रवेश जो एक रिकॉर्ड है. किसीएक व्यावसायिक लेन - देन का एक रिकॉर्ड एक जर्नलप्रविष्टि कहा जाता है. हर जर्नल प्रविष्टि संबंधित लेन -देन के साक्ष्य, एक वाउचर द्वारा समर्थित होता है.

खाता (Account)
एक खाता किसी खास संपत्ति, दायित्व, व्यय या आयको प्रभावित करने वाले लेनदेन से सम्बंधित एक बयानहै.

लेजर (Ledger)
एक लेजर सभी खातों के लिए होता है चाहेवो व्यक्तिगत (personal), असली (Real)  यानाममात्र (Nominal) खाता हो. 

पोस्टिंग (Posting)
पोस्टिंग एक ही जगह पर सभी खातों से संबंधितलेनदेन को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है.

लेखांकन अवधि (Accounting Period)
आम तौर पर, लेखांकन अवधी एक साल का होता है.यह त्रिमासिक भी हो सकता है.

शेष - परीक्षण (Trial Balance)

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के नियमों के अनुसार, हर डेबिटका एक इसी राशि  का क्रेडिट होनी चाहिए, डेबिट शेष राशि और क्रेडिट शेष को बराबर होना चाहिए. शेष प्रशिक्षण के लिए निम्नलिखित का उपयोग किया जाता है. 
• खाता नाम (Account Name)
• डेबिट शेष राशि (Debit Balance)
• क्रेडिट शेष राशि (Credit Balance)